धीरे धीरे आपकी आय कम तो नहीं होती जा रही

धीरे धीरे आपकी आय कम तो नहीं होती जा रही 
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 नयी जमीन /मकान /दूकान आपको तबाह भी कर सकता है
 नया स्थान /मकान बर्बाद कर सकता है आपका जीवन
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 यह सुनकर थोडा अजीब भी लग रहा होगा ,थोडा बुरा भी लग सकता है ,पर ऐसा होता है और यह बिलकुल सत्य है की नया स्थान या मकान आपको बर्बाद ,तबाह कर सकता है ,घोर कष्ट में डाल सकता है ,ऐसी समस्याओं में उलझा सकता है जिससे आप चाहकर भी जल्दी न निकल पायें |यह अनुभूत सत्य है .बड़े और पुराने शहरों के बहुत से मामले और समस्याएं इन्सी कारण उत्पन्न होते हमने पाया है |इनका विश्लेषण -निरीक्षण करते और कारण खोजते हुए अनेक अनुभव और आभास भी हुए .इन पर प्रयोग करते हुए ही हम इनसे निकलने के तरीके खोज पाए |इसीलिए हमारे मन में यह उत्कंठा हुई की इस पर एक लेख लिखा जाए जिससे हमारे पाठक लाभान्वित हो सकें ,अगर कहीं वह ऐसी परिस्थिति में फंस जाएँ तो |
 हर व्यक्ति का सपना होता है की उसका अपना घर ,मकान हो जहाँ वह शान्ति से रह सके |बड़े शहरों में मकान न हो तो लोग फ़्लैट लेने का प्रयास करते हैं |गावों में तो अक्सर अपने मकान होते हैं किन्तु आज के भागदौड़ और रोटी -रोजगार -नौकरी के युग में बहुत से लोग अन्यत्र स्थानांतरित हो रहते हैं तथा वह किराए के मकान में आश्रय लेते हैं |हर व्यक्ति जो भी नया स्थान बनाता है या लेता है जरुरी नहीं की वह वहां सुखी ही रहे |चाहे बड़ी बिल्डिंग के फ़्लैट हों ,मकान /बंगले हों अथवा किराए के मकान /दूकान हो |वहां जाने पर कभी ऐसी भी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है की धीरे -धीरे आपकी आय कम हो जाए अथवा आय -व्यय में असंतुलन उत्पन्न हो जाए ,आपके घर परिवार में कलह का अनावश्यक वातावरण उत्पन्न हो ,तनाव /दबाव ,घुटन महसूस हो ,बच्चे बिगड़ने लगें और उनमे स्वछंदता /स्वेच्छाचारिता उत्पन्न हो अथवा बढ़ जाए ,रहने वालों अथवा बच्चों में व्यसन ,नशे की आदत उत्पन्न हो ,चारित्रिक दोष उत्पन्न हो ,नौकरी /व्यवसाय में उथल पुथल हो ,सहकर्मियों से अनबन हो अथवा अनावश्यक मित्र -सम्बन्धियों से विरोध उत्पन्न हो ,दूरी बन जाए ,जबकि प्रत्यक्ष कोई कारण न समझ आये और लगे की अपनी तो कोई कमी या गलती ही नहीं थी |
 वास्तव में आपमें कोई कमी होती भी नहीं ,कोई गलती आपकी होती भी नहीं पर फिर भी ऐसा हो जाता है |कभी कभी परिस्थितियां इतनी विकत हो जाती हैं की आपको रास्ता नहीं सूझता ,आपकी आर्थिक स्थिति इस कदर धीरे धीरे बिगडती जाती है की आप सुधार के न उपाय कर पाते हैं और न ही उस स्थान को छोड़ पाते हैं |आपको अनुभव भी हो जाता है की यहाँ आने पर अथवा यह प्रापर्टी लेने पर या यह मकान बनवाने या लेने पर यह समस्या हो रही पर आप उससे मुक्त भी नहीं हो पाते ,वह प्रापर्टी फिर जल्दी बिकती भी नहीं |कभी कभी परिवार में अलगाव की स्थिति भी आने लगती है ,पति- पत्नी के सम्बन्ध बिगड़ते हैं ,हर समय टेंसन होता है जबकि बाहर निकलते ही दिमाग हल्का हो जाता है और अच्छा महसूस होता है |प्रापर्टी दुसरे जगह हो और आप कहीं और हों तब भी इस तरह के प्रभाव आते हैं |कभी कभी तो महसूस तक होता है की यह स्थान ठीक नहीं यहाँ कुछ है ,पर यदि महसूस न हो तब भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं |इनका सबसे बुरा प्रभाव संसाधनों और बच्चों पर पड़ता है और रोग इत्यादि उत्पन्न होते हैं |
 इस तरह की समस्याएं गावों में कम होती हैं ,पहाड़ी इलाकों में कम होती हैं ,पारंपरिक खेती वाली जमीनों पर बने रिहायसो में कम होती हैं ,किन्तु पुराने शहरों ,नदी तालाब पाटकर बनी जमीनों पर बने मकानों ,पूर्व के युद्ध आदि क्षेत्रों पर बने मकानों ,नदी /तालाब /बंदरगाह किनारे बने आवासों ,शहर से सटे जंगली क्षेत्रों को काटकर बने मकानों आदि में यह समस्याएं अधिक होती हैं |दिल्ली जैसे पुराने शहरों जहाँ मारकाट अधिक हुए हैं में इस तरह की अधिक समस्याएं है जबकि मुंबई के नए बसे इलाकों में यह समस्याएं कम हैं ,इसी तरह मैदानी इलाकों में यह समस्या अधिक हैं जबकि पहाड़ी इलाकों में यह समस्याएं कम हैं |ऐसा इसलिए हैं की यहाँ की जमीनें या तो दूषित हैं या शुद्ध हैं |हजारों वर्ष किसी नकारात्मक शक्ति की आयु हो सकती है जबकि मकान /घर बनाने वाला नहीं जानता की २० फीट जमीन के नीचे क्या दबा है पुराने कालखंडों के विप्लव के बाद |बिल्डर यह नहीं देखता की जमीन के नीचे क्या है ,उसे जमीन ले बिल्डिंग बना बेचने से मतलब है ,अक्सर मकान के लिए जमीन लेने वाले तक नहीं सोचते कल यहाँ क्या था ,आज मौके की जमीन है ले ली और मकान तैयार करा लिया या फ़्लैट ले लिया |अनुभव तो तब होता है जब वहां जो रहना शुरू करता है |रहने वाले में भी जिसका भाग्य बहुत अच्छा है उसकी गाडी भाग्यवश चलती रहती है और उसके समझ नहीं आता ,दूसरा इस भ्रम में रहता है की अमुक तो इसी मकान या आसपास ही बिलकुल ठीक है फिर यहाँ दोष कैसे हो सकता है |इस भ्रम में वह खुद कष्ट उठाता रहता है पर मानता कुछ नहीं जब तक की बहुत गंभीर समस्या न दिखे |
 ऐसा नहीं की केवल किसी जमीन या मकान में रहने से ही समस्या होती है ,कभी कभी किसी जमीन को या मकान को खरीदने मात्र से भी समस्या उत्पन्न होती है क्योकि उस स्थान की नकारात्मक शक्ति को यह अच्छा नहीं लगता और वह समस्याएं उत्पन्न करती है |इस तरह के जमीन /मकान को दोबारा बेचने में भी समस्या आती है और अक्सर इन पर एक बार में कोई मकान /बिल्डिंग बन भी नहीं पाती बल्कि एकाध बार काम किसी न किसी कारण रुकता जरुर है |यदि किसी जमीन में अंदर राख का ढेर हो ,हड्डी दबी हो ,शव दबा हो ,कई लोगों की मृत्यु हुई हो ,कभी वहां कब्रिस्तान ,कारागार ,फांसी का स्थान ,श्मशान ,शवदाह गृह ,पुराना वृक्ष ,ब्रह्म चौकी ,कसाई खाना ,युद्ध क्षेत्र आदि रहा हो अथवा किसी मकान में कई अकाल मौतें हुई हों या किसी क्षेत्र में कभी कोई बड़ी महामारी आई रही हो और बहुत सी मौतें हुई हों तो उस स्थान पर नकारात्मक शक्तियों का वास हो सकता है |चूंकि इनकी सूक्ष्म शरीरों की क्षरण आयु हजारों वर्ष होती है अतः यह अभी भी वहां सक्रीय हो सकते हैं |ऐसे में सदियों से वहां आसपास रहते हुए वह आवास मानते हैं वहां अपना ,और जो उसे लेने की कोशिस करता है या मकान बनाने की कोशिश करता है उसे भी और वहां रहने वालों को भी वह परेशान करने की कोशिश करते हैं |
 किसी मकान ,स्थान या दूकान का वास्तु दोष एक अलग मामला है और वहां किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव होना बिलकुल अलग |वास्तुदोष को अपेक्षाकृत जल्दी सुधारा जा सकता है किन्तु नकारात्मक शक्ति को हटाना या निष्क्रिय करना बेहद कठिन होता है |यहाँ तक की अच्छे तांत्रिक के लिए भी यह स्थिति कठिन हो जाती है ,चूंकि इनका अपना एक समूह बन जाता है और स्थानीय शक्तियाँ इनकी सहायता करती हैं |बेहद उच्च स्तर की शक्ति से ही इन्हें हटाया जा सकता है |यदि बहुत गहरे कोई बड़ी शक्ति हो तो उसे हटा पाना संभव नहीं होता अपितु फिर उसे मनाना पड़ता है की वह सम्बन्धित को परेशान न करे अथवा उसे फिर कहीं और स्थान देना पड़ता है |यह शक्तियाँ आस पास के क्षेत्र को भी प्रभावित करती हैं और अगल बगल के मकानों ,आवासों तक अपना प्रभाव दिखाती हैं |इनका प्रभाव समझ नहीं आता अधिकतर मामलों में ,कुछ ही मामलों में यह खुद को व्यक्त करते हैं |इनके प्रभाव इनकी प्रकृति के अनुसार भिन्न हो सकते हैं |यदि यहाँ की शक्ति चरित्रहीन हुई तो चरित्रहीनता रहने वालों में बढ़ेगी ,क्रोधी हुई तो झगड़े बढ़ेंगे ,व्यसन -नशा अपने आप बढ़ेगी ,बच्चे -महिलाएं जल्दी प्रभावित होंगे तो इनमे कमिय पहले उत्पन्न होंगी |बेवजह दुर्घटना ,बीमारी ,मानसिक समस्या होगी ,घर अस्त व्यस्त होने से कार्य और दिनचर्या अव्यवस्थित होगी अतः आय -व्यय का संतुलन बिगड़ेगा |सबकुछ धीरे धीरे होगा और ऐसा होगा की जब तक समझ आएगा विकल्प सिमित हो जायेंगे |
 यदि आप किसी ऐसी समस्या का सामना कर रहे जैसे कोई नया जमीन /मकान लेने के बाद आपकी समस्याएं बढ़ गयी हों ,आपने कोई मकान बनवाया हो और उलझने -परेशानियां बढ़ी हों ,आपने किसी मकान /फ़्लैट में खुद को स्थानांतरित किया हो और आप तबसे किसी न किसी कारण परेशान हों तो पहला प्रयास तो यह कीजिये की आप उससे मुक्त हो जाएँ |यदि ऐसा संभव न हो और आपकी पूँजी फंस गयी हो तो किसी बहुत अच्छे और योग्य तंत्र साधक से संपर्क कीजिये जो काली ,बगला ,भैरव जैसी शक्तियों का साधक हो और उसे अपना मकान /दूकान /स्थान दिखाइये और उसके बताये उपाय कीजिये |केवल वास्तु दोष के उपायों से अथवा किसी सात्विक शक्ति की उपासना से अथवा सामान्य कर्मकांड से इन समस्याओं का निराकरण नहीं हो सकता यद्यपि वास्तु के कुछ उपाय जमीन के अंदर करने हो सकते हैं ,परन्तु केवल उग्र और उच्च शक्तियाँ ही आपका भला कर सकती हैं |साथ ही किसी उग्र शक्ति की उपासना खुद भी जरुर करें जिससे कुछ प्रतिरोधक शक्ति आपमें उत्पन्न हो |चूंकि उपाय की प्रकृति शक्ति पर निर्भर करती है अतः हम अपनी तरफ से कोई भी विशेष उपाय नहीं लिख रहे |कारण यह है की उपाय की शक्ति समस्या कारक की शक्ति से अधिक होनी चाहिए अन्यथा वह गंभीर प्रतिक्रया भी दे सकती है |शक्ति का आकलन कर उपाय करना अथवा देना उस साधक का क्षेत्र है जो उस स्थान का निरिक्षण और विश्लेष्ण करेगा |भिन्न प्रकृति का उपाय भिन्न प्रकृति की शक्ति पर या तो काम नहीं करेगा या उसे और उग्र कर देगा जिससे वह चिढकर और परेशान करेगा |
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Aacharya Goldie Madan

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