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Showing posts from June, 2022

कड़ी मेहनत के बाद भी प्रगति रुकी पड़ी है पर्याप्त आय पर भी क़र्ज़ चढ़ रहे हो तो संभव है

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कड़ी मेहनत के बाद भी प्रगति रुकी पड़ी है  पर्याप्त आय पर भी क़र्ज़ चढ़ रहे हो तो संभव है  आपके घर में  मृत आत्माओं का डेरा हो सकता है ,पर आपको पता नहीं  ======================================= आप अपनी जिन्दगी जी रहे और अपने घर में रह रहे होते हैं ,आपको कुछ दीखता तो नहीं पर आपके घर में अदृश्य शक्तियों का भी वास होता है |इनमे भूत ,प्रेत ,ब्रह्म ,पितृ ,आदि होते हैं |जब तक इनकी संख्या या ऊर्जा या शक्ति की मात्रा कम होती है तब तक आपको कुछ भी महसूस नहीं होता क्योंकि यह भौतिक शरीर में तो होते नहीं इसलिए दीखते नहीं |हर व्यक्ति मरने के तुरंत बाद जन्म नहीं लेता |बहुत से लोग मरने के बाद भूत -प्रेत बनते हैं जो सैकड़ों -हजारों वर्षों तक उसी योनी में रहते हैं |जिस स्थान से उनका लगाव होता है वहां वह अधिक विचरण करते हैं |आपने घर बनाया ,या किराए पर आये ,या फ़्लैट लिया और रहने लगे |आपको क्या पता यहाँ या इस जमीन के नीचे क्या क्या है |आपके घर के किसी सदस्य की मृत्यु हुई तो उसका भौतिक शरीर तो ख़त्म हो गया पर उसका सूक्ष्म शरीर और आत्मा तो रहती ही है वह आपके आस -पास ही घूमेगा या जहाँ उसकी मृत्यु हुई हो उस स्थान के आ

योगिनियां क्या है? एक परिचय

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योगिनियां क्या है? एक परिचय  ===================== :::::::::::::::::योगिनी ::::::::::::::: परमशक्ति और मनुष्य के बीच की एक पारलौकिक कड़ी ====================================== योगिनी अथवा जोगिनी प्रकृति की अलौकिक शक्तियां हैं ,जिन्हें मूल आदि शक्ति की सहचरी अथवा सहायिकाएं माना जाता है |इनकी स्थिति महाविद्या और सिद्ध विद्याओं के बाद के स्तर पर होती है |यह वह पारलौकिक शक्तियां हैं जिनका अस्तित्व सदैव बना रहता है ,हर युग ,हर काल में |यह अप्सराओं और यक्षिणियों से ऊपर की शक्तियां हैं जिनकी संख्या निश्चित है |इनकी संख्या ६४ मानी जाती है और तंत्र के मूल ग्रन्थ भी ६४ प्रकार के ही होते हैं | योगिनी शब्द योग से बना है..योग अर्थात संतुलन..| हर तल पे संतुलन..| साधना के क्षेत्र में साधक यदि पहले योगिनी साधना सफलता पूर्वक कर ले तो आगे की राह बहुत आसान हो जाती है..| योगिनी साधना से साधनात्मक जीवन में सबकुछ फटाफट होने लगता है..हर साधना पहले प्रयास में ही सफल होती है..| और सृष्टि में भैरव उत्पत्ति इन्ही योगिनियों की शक्ति से महादेव करते हैं..| भोलेनाथ के प्रिय गण महा-भैरव वीरभद्र तो सदा योगिनियों के साथ

अगर आपके पैसे कही फसे है तो निकालने के लिए करे ये स्तोत्र का पाठ | कार्तवीर्य स्तोत्र

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अगर आपके पैसे कही फसे है तो निकालने के लिए करे ये स्तोत्र का पाठ |  कार्तवीर्य स्तोत्र  =====================================================  कई लोग है जो कभी कभी एक विश्वास की वजह से अपने पैसो को खो देते है |  अगर आपने अपने रिश्तेदारों को पैसे दिए है चाहे वो कितने भी अपने हो, या अपने बिज़नेस पार्टनर को पैसे दिए हो , या किसी को ब्याज पर पैसे दिए फिर वो वापिस नहीं कर रहा तब लोग परेशान हो जाते है |   ऐसे में क्या करे ?  जब जब भी सब रास्ते बंद हो जाते है तब एक अध्यात्म का सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता है जो सही मार्गदर्शन देता है |  ऐसा ही एक प्रयोग हामरे शास्त्रों में दिया हुआ है जिसके सम्पूर्ण अनुष्ठान से आपके पैसे को आप वापिस प्राप्त कर सकते हो |   " कार्तवीर्यस्तोत्र "  कार्तवीर्य स्तोत्र  इस स्तोत्र के 16000 पाठ करे |  या प्रतिदिन 160 पाठ करे |  इसमें कोई दशांश यज्ञ या तर्पण मार्जन की आवश्यकता नहीं है |    अनुष्ठान विधि  किसी भी दिन इस स्तोत्र का आरम्भ कर सकते है | इस स्तोत्र का पाठ करते समय लाल वस्त्र धारण करने है |  || अथ कार्तवीर्य स्तोत्र ||  ॐ कार्तवीर्य खलद्वेषी कृतवीर्यसुत

गृहस्थ जीवन में ख़ुशी के साथ दाम्पत्य सुख भी देता है हरिद्रा गणपति साधना

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गृहस्थ जीवन में ख़ुशी के साथ दाम्पत्य सुख भी देता है  हरिद्रा गणपति साधना ===================================== संभोग सुख और वीर्य स्तंभन प्रदान करता है हरिद्रा गणेश मंत्र प्रयोग ==================================================   भगवान श्री गणेश सर्वसिद्धिदायक, सुख-संपत्ति प्रदाता, ज्ञान-बुद्धि प्रदाता होने के साथ ही गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने वाले देवता हैं। जिन लोगों का गृहस्थ जीवन सुखी नहीं हैं, जिन्हें संपूर्ण शारीरिक सुख  नहीं मिल पा रहा है उन्हें हरिद्रा गणेश मंत्र का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इस मंत्र को सवा लाख जप कर सिद्ध कर ले .   मंत्र का फल --------------- हरिद्रा गणेश मंत्र गृहस्थ जीवन सुखी बनाने के साथ पौरुष, वीरता, वीर्य स्तंभन तथा संपूर्ण संभोग सुख प्रदान करता है। यह नपुंसकता समाप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।   मंत्र सिद्ध करने की विधि -------------------------------- विनियोग- अस्य हरिद्रा गणनायक मंत्रस्य मदन ऋषि: अनुष्टुपछंद: हरिद्रागणनायकोदेवता ममाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग: । ध्यान- पाशांकुशौ मोदकमेकदंतं करैर्दधानं कनकासनस्थम् । हारिद्रखंडप्रतिमं त्रिनेत्रं

एक से अधिक से शारीरिक सम्बन्ध बनाने के आध्यात्मिक हानि के रहस्य को जाने

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एक से अधिक से शारीरिक सम्बन्ध बनाने के आध्यात्मिक हानि के रहस्य को जाने --------------------------------------------------------------------------------------------------------   गलती एक बार नुक्सान जिंदगी भर  -------------------------------------------- हजार बार सोचें शारीरिक सम्बन्ध बनाने के पहले [बेहद गंभीर तथ्य ] ============================================                                     प्रकृति में विकास और संतति उत्पत्ति का माध्यम शारीरिक सम्बन्ध है | सभी जीवों में यह होता है,वनस्पतियों में इसकी प्रकृति भिन्न होती है किन्तु होता वहां भी है बीजारोपण ही ,,भले परागों के ही रूप में क्यों न हो  | इस प्रक्रिया में जंतुओं में उत्तेजना और आनंद की अनुभूति होती है ,जिसे पाने अथवा एकाधिकारके लिए आपसी संघर्ष भी होते हैं | मनुष्य में यह देखने में और व्यवहार में एक सामान्य प्रक्रिया है जो संततिवृद्धि का माध्यम है | परन्तु इसमें बहुत बड़े बड़े रहस्य भी हैं और बहुत बड़ी बड़ी क्रियाएं भी होती हैं ,जोसम्बंधित व्यक्तियों को जीवन भर प्रभावित करती है | देखने समझने में मामूली सा लगने वाला आपसी शारीरि

धीरे धीरे आपकी आय कम तो नहीं होती जा रही

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धीरे धीरे आपकी आय कम तो नहीं होती जा रही   =================================           नयी जमीन /मकान /दूकान आपको तबाह भी कर सकता है  नया स्थान /मकान बर्बाद कर सकता है आपका जीवन  ====================================  यह सुनकर थोडा अजीब भी लग रहा होगा ,थोडा बुरा भी लग सकता है ,पर ऐसा होता है और यह बिलकुल सत्य है की नया स्थान या मकान आपको बर्बाद ,तबाह कर सकता है ,घोर कष्ट में डाल सकता है ,ऐसी समस्याओं में उलझा सकता है जिससे आप चाहकर भी जल्दी न निकल पायें |यह अनुभूत सत्य है .बड़े और पुराने शहरों के बहुत से मामले और समस्याएं इन्सी कारण उत्पन्न होते हमने पाया है |इनका विश्लेषण -निरीक्षण करते और कारण खोजते हुए अनेक अनुभव और आभास भी हुए .इन पर प्रयोग करते हुए ही हम इनसे निकलने के तरीके खोज पाए |इसीलिए हमारे मन में यह उत्कंठा हुई की इस पर एक लेख लिखा जाए जिससे हमारे पाठक लाभान्वित हो सकें ,अगर कहीं वह ऐसी परिस्थिति में फंस जाएँ तो |  हर व्यक्ति का सपना होता है की उसका अपना घर ,मकान हो जहाँ वह शान्ति से रह सके |बड़े शहरों में मकान न हो तो लोग फ़्लैट लेने का प्रयास करते हैं |गावों में तो अक्सर अपने

कैसे जाने अपने कुलदेवता को [[कौन हैं आपके कुलदेवता /देवी

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कैसे जाने अपने कुलदेवता को [[कौन हैं आपके कुलदेवता /देवी ] I आज के समय में बहुतायत में पाया जा रहा है की लोगों को अपने कुलदेवता/देवी का पता ही नहीं है |वर्षों से कुलदेवता/देवी को पूजा नहीं मिल रही है |घर-परिवार का सुरक्षात्मक आवरण समाप्त हो जाने से अनेकानेक समस्याएं अनायास घेर रही हैं |नकारात्मक उर्जाओं की आवाजाही बेरोक टोक हो रही है |वर्षीं से स्थान परिवर्तन के कारण पता ही नहीं है की हमारे कुलदेवता/देवी कौन है |कैसे उनकी पूजा होती है |कब उनकी पूजा होती है |आदि आदि |इस हेतु एक प्रभावी प्रयोग है जिससे यह जाना जा सकता है की आपके कुलदेवता कौन है | यह एक साधारण किन्तु प्रभावी प्रयोग है जिससे आप अपने कुलदेवता अथवा देवी को जान सकते हैं |[मुक्ति मार्ग ]  प्रयोग को मंगलवार से शुरू करें और ११ मंगलवार तक करते रहें |मंगलवार को सुबह स्नान आदि से स्वच्छ पवित्र हो अपने देवी देवता की पूजा करें |फिर एक साबुत सुपारी लेकर उसे अपना कुलदेवता/देवी मानकर स्नान आदि करवाकर ,उस पर मौली लपेटकर किसी पात्र में स्थापित करें |इसके बाद आप अपनी भाषा में उनसे अनुरोध करें की "हे कुल देवता में आपको  जानना चाहती हूँ

योग्यता रहने पर भी व्यापार क्यों नहीं चल पा रहा ?

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योग्यता रहने पर भी व्यापार क्यों नहीं चल पा रहा ?  ==================================    आपके साथ ऐसा तो नहीं हो रहा है ? =================================================  इस लेख में हम व्यवसाय पर प्रभाव डालने वाले कुछ कारकों पर चर्चा करते हैं |    आपका व्यवसाय अचानक चलते चलते रुकने लगे ,अनावश्यक हानि होने लगे ,ग्राहक कम होने लगें या ग्राहक तो आयें पर व्यवसाय न हो |अचानक से साझेदारों से अनबन हो जाए या साझेदार हट जाएँ |अचानक कर्ज देने वालों का दबाव आ जाए |आप कर्ज समय पर न चूका सकें |घर परिवार में इस तरह की उलझनें शुरू हो जाएँ की आप व्यवसाय पर पर्याप्त ध्यान न दे पायें |अचानक दुर्घटनाएं अथवा बीमारियों के प्रकोप आने लगें |अचानक कर्मचारी काम छोड़ दें |समय पर आप डिलीवरी न दे पायें ,जबकि आपके पास सभी साधन पर्याप्त हैं |दूकान /व्यवसाय में उलझन बढ़ जाए |आपका मन अपने ही व्यवसाय /दूकान में न लगे |सामने वाला छोटा दुकानदार बढ़ता चला जाए जबकि आपकी स्थिति कमजोर होती चली जाए |टोने -टोटके आदि से सुधार के उपाय असफल हों |अचानक से चोरी हो जाए अथवा आग लग जाए |शाम को करीने से लगे सामान सुबह बिखरे मिलें |अचान

ईष्ट देवता किसको बनाए ?ईष्ट के चुनाव और हमारी आवश्यकताएं ईष्ट किसको बनाए ?

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ईष्ट देवता किसको बनाए ? ईष्ट के चुनाव और हमारी आवश्यकताएं  ईष्ट किसको बनाए ? ----------------------  [[ पारिवारिक व् व्यक्तिगत पूजा-अनुष्ठान के सन्दर्भ में ]] ================================= .   .सिद्धि-साधना भिन्न पथ है ,,किन्तु सामान्य पूजा -अनुष्ठान में सर्वत्र सामान्य लोग अपने कल्याण -सुख -संमृद्धि के लिए देवी-देवता की पूजा करते है ,किन्तु फिर भी उन्हें कभी -कभी अपेक्षित लाभ नहीं मिलता ,कल्याण नहीं होता ,,कभी-कभी तो कष्ट -परेशानिया बढ़ भी जाती है ,इसमें थोड़ी सी नासमझी के कारण लोग भारी अनिष्ट और भाग्य विकार को आमंत्रित करते है , ..   .अब प्रश्न उठता है की भला कल्याणकारक देवी-देवता अनिष्ट कैसे कर सकते है ,तो यहाँ गलती गलती यह हो रही है की सभी देवी-देवता कल्याणकारी है ,परन्तु वे तब कल्याणकारी है जब आपको उनकी आवश्यकता है ,,आप मोटे है चर्बी बढ़ रही है और लक्ष्मी जी की निरंतर पूजा कर रहे है ,धन सम्पत्ति तो बाद की चीज है ,आप का स्वास्थय बिगड जाएगा ,मोटापा ,मधुमेह हो सकता है ,आप अपनी अकाल मृत्यु और घोर दुःख [शारीरिक कष्ट]को आमंत्रित कर रहे है ,,इसी प्रकार आप में काम-क्रोध-उत्तेजना अधिक

सर्व कार्य साधन मन्त्र

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सर्व कार्य साधन मन्त्र  --------------------- ॐ नमः सर्वार्थ साधनो स्वाहा I यह मन्त्र १० हज़ार बार जपने सिद्ध हो जाता है . किसी भी नया कार्य आरम्भ करने के पूर्व इस मन्त्र का १०८ बार जप कर लेना चाहिए Aacharya Goldie Madan Whats app +16475102650 and +919717032324

स्त्रियाँ देवी बन सकती हैं

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स्त्रियाँ देवी बन सकती हैं =================  समय रहते खुद को सक्षम बना ले  =========================        भारतीय संस्कृति में कन्या और स्त्री को देवी कहा जाता है किन्तु हर कन्या में देवी भले दिखे हर स्त्री देवी नहीं होती |सोचिये यदि हर स्त्री देवी है तो हर पुरुष देवता हुआ |फिर स्त्री को पिता -भाई -पति -पुत्र ,रिश्तेदार -समाज द्वारा प्रताड़ना क्यों मिलती है ,पूजन प्रतिबन्ध ,वेद अध्ययन में प्रतिबन्ध क्यों ,हर जगह उसे दबाया क्यों जाता है ,क्यों वह इतनी कमजोर -निरीह है |जिसे आप देवी कहते हैं उसकी स्थिति हर समाज में कमजोर क्यों |कहने को तो वह माँ ,बहन ,पत्नी ,पुत्री और मानव जाती की जन्मदाता है किन्तु वास्तविक स्थिति उसकी क्या है |उसे देवी कह कर खुश किया जाता है किन्तु वास्तव में उसके साथ दोहरा व्यवहार होने पर भी वह कुछ कर क्यों नहीं पाती |देवी का मतलब तो उसे सक्षम होना चाहिए |सीधी सि बात है स्त्री देवी बन तो सकती है किन्तु हर स्त्री देवी नहीं होती |देवी बंनने के लिए देवी शक्ति का होना आवश्यक है और दैवीय शक्ति के लिए खुद को उसके अनुकूल बनाना आवश्यक है ,दैवीय शक्ति प्राप्त करने पर स्त्री दे