Posts

Showing posts from November, 2021

totke

Image
दुकान में कुलदेवी कुलदेवता पितृ के नाम से तीन देसी घी के दीपक प्रज्वलित करें और धूप तथा भोग में मिश्री लगाएं उनसे प्रार्थना करें हे मेरे कुल के देवी देवता में आप सभी से प्राथना करता हू मेरे व्यापार में ज्ञात अज्ञात जो भी बाधा है सभी को कृपा कर आप दूर कर दिजिए और यदि मुझसे कोई भूल हुई हो तो क्षमा कर दिजिए इसके बाद एक ग्लास में जल भरकर पूरी दुकान के अंदर बाहर छिड़क दें जो भी बाधा हो तंत्र बंधन ग्रह सब दूर हो जाएगी। विश्वास रख करके करे और यदि लाभ हो तो निरंतर करते रहे। मंगलवार को पान का बीड़ा नियम से चढ़ाया जाए तो रोजगार के रास्ते खुलते हैं। नौकरीपेशा को प्रमोशन के अवसर मिलते हैं।।।।। मंगलवार को शाम के समय हनुमान जी को केवड़े का इत्र एवं गुलाब की माला चढ़ाएं और कोशिश करें कि स्वयं लाल रंग के वस्त्र पहनें। धन के लिए हनुमान जी को प्रसन्न करने का यह सबसे सरल उपाय है।    शादी के लिए हल्दी की 5सबूत गाठ लेनी है उस को अपने उपर से 7बार उतारना है फिर इस को बहते पनी मै पर्वहित करते टाईम अपना नाम गोत्र बोल्नी है ओर जल्दी शदी की कामना करनी है धयान रहै की पीछे मूड के नही देखना है ये उपाय करने के बाद य

इक्यावन शक्तिपीठों में प्रमुख माँ विन्ध्यवासिनी देवी मन्दिर!!!

Image
इक्यावन शक्तिपीठों में प्रमुख माँ विन्ध्यवासिनी देवी मन्दिर!!!!!! 'भगवती विंध्यवासिनी आद्या महाशक्ति हैं। विन्ध्याचल सदा से उनका निवास-स्थान रहा है। जगदम्बा की नित्य उपस्थिति ने विंध्यगिरिको जाग्रत शक्तिपीठ बना दिया है।  महाभारत के विराट पर्व में धर्मराज युधिष्ठिर देवी की स्तुति करते हुए कहते हैं- विन्ध्येचैवनग-श्रेष्ठे तवस्थानंहि शाश्वतम्।  हे माता! पर्वतों में श्रेष्ठ विंध्याचलपर आप सदैव विराजमान रहती हैं।  पद्मपुराण  में विंध्याचल-निवासिनी इन महाशक्ति को विंध्यवासिनी के नाम से संबंधित किया गया है- विन्ध्येविन्ध्याधिवासिनी। श्रीमद्देवीभागवत के दशम स्कन्ध में कथा आती है, सृष्टिकर्ता ब्रह्माजीने जब सबसे पहले अपने मन से स्वायम्भुवमनु और शतरूपा को उत्पन्न किया। तब विवाह करने के उपरान्त स्वायम्भुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षो तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें निष्कण्टक राज्य, वंश-वृद्धि एवं परम पद पाने का आशीर्वाद दिया। वर देने के बाद महादेवी विंध्याचलपर्वत पर चली गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही विंध्यवासिनी की पूज