स्त्रियाँ देवी बन सकती हैं

स्त्रियाँ देवी बन सकती हैं
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 समय रहते खुद को सक्षम बना ले 
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       भारतीय संस्कृति में कन्या और स्त्री को देवी कहा जाता है किन्तु हर कन्या में देवी भले दिखे हर स्त्री देवी नहीं होती |सोचिये यदि हर स्त्री देवी है तो हर पुरुष देवता हुआ |फिर स्त्री को पिता -भाई -पति -पुत्र ,रिश्तेदार -समाज द्वारा प्रताड़ना क्यों मिलती है ,पूजन प्रतिबन्ध ,वेद अध्ययन में प्रतिबन्ध क्यों ,हर जगह उसे दबाया क्यों जाता है ,क्यों वह इतनी कमजोर -निरीह है |जिसे आप देवी कहते हैं उसकी स्थिति हर समाज में कमजोर क्यों |कहने को तो वह माँ ,बहन ,पत्नी ,पुत्री और मानव जाती की जन्मदाता है किन्तु वास्तविक स्थिति उसकी क्या है |उसे देवी कह कर खुश किया जाता है किन्तु वास्तव में उसके साथ दोहरा व्यवहार होने पर भी वह कुछ कर क्यों नहीं पाती |देवी का मतलब तो उसे सक्षम होना चाहिए |सीधी सि बात है स्त्री देवी बन तो सकती है किन्तु हर स्त्री देवी नहीं होती |देवी बंनने के लिए देवी शक्ति का होना आवश्यक है और दैवीय शक्ति के लिए खुद को उसके अनुकूल बनाना आवश्यक है ,दैवीय शक्ति प्राप्त करने पर स्त्री देवी हो जाती है और तब वह हर प्रकार से सक्षम है |
         ' यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते 'तत्र देवता के अनुसार जहाँ नारी का सम्मान होता है वहां देवता भ्रमण करते हैं अर्थात वहां उन्नति ,सुख शान्ति होती है |यह कहावत बनने और स्त्री को देवी कहने के वावजूद नारी की वास्तविक स्थिति दयनीय होती है |अतः जरुरत होती है नारी को वास्तविक देवी बनने की |विभिन्न रूपों में स्त्री की भूमिका होने पर भी मात्र कहने से कोई देवी नहीं हो जाती ,देवी का अर्थ होता है दैवीय शक्ति से युक्त महिला |इसके लिए दैवीय शक्ति प्राप्त करनी होती है जो बिना साधना के संभव नहीं होती |ध्यान दीजिये हम साधना की बात कर रहे |पूजा ,आराधना ,प्रार्थना ,उपासना की बात नहीं कर रहे |पाँचों में अंतर होता है |देवी बनने के लिए साधना की जरुरत होती है |जो लोग झूमते हैं ,आवेश जिन पर आता है ,जो खुद को देवी बताती हैं और लोगों को कुछ बातें बता भी देती हैं ,आशीर्वाद देती हैं और जिनके यहाँ भीड़ लगती है हम उनकी  बात नहीं कर रहे ,वह देवी होती हैं या नहीं यह हम आपके विवेक पर छोड़ते हैं पर हम वास्तविक देवी की बात कर रहे जिनमे दैवीय शक्तियाँ अवतरित हों |जिनके खुद पर से तो सभी कष्ट दूर हो ही जाएँ आसपास और घर -परिवार से भी समस्या -संकट -दुःख -दुर्घटनाएं समाप्त हो जाएँ ,जिन्हें देखते ही लोगों के सर श्रद्धा से झुक जाएँ |
          यह स्थिति पाने के लिए महादेवियों की साधना करनी होगी क्योंकि देवी बनने के लिए देवी -देवताओं की ही पूजा से ही काम नहीं चलेगा |देवी बनने के लिए उनकी शक्ति चाहिए जिससे सभी देवी -देवता भी शक्ति पाकर देवी -देवता बनते हैं |यह शक्ति महादेव ,त्रिदेव और महादेवियों में होती है |महादेवियों में त्रिदेवी ,तेरह महाविद्यायें ,नौ दुर्गा आदि आती हैं |इनकी ही शक्ति से देवी देवता भी शक्तिवान होते हैं अतः इन्हें साधना होगा |ध्यान दीजिये साधना वह प्रक्रिया है जहाँ किसी देवी देवता को नहीं साधा जाता अपितु खुद को साधा जाता है ताकि आप उस देवी देवता के अनुकूल हो सकें जिसकी साधना कर रहे जिससे उस देवता की शक्ति आपमें समाहित हो सके |देवी बनने के लिए महादेवी की साधना करनी होगी |महादेवी की साधना तभी सफल होगी जब खुद को उनकी ऊर्जा के अनुकूल कर लें ताकि वह आपमें अवतरित हो सकें |जब वह आपमें समाहित होंगी अर्थात जब उनकी ऊर्जा आपको संतृप्त करेगी तब आप देवी स्वरुप हो जायेंगी |इसके बाद ग्रहीय प्रभाव ,वातावरणीय प्रभाव ,सामाजिक प्रभाव आपको कम प्रभावित करेंगे ,एक अतिरिक्त उर्जा आपमें होगी ,आपके मानसिक तरंगों के साथ दैवीय शक्ति चलेगी जिससे जो सोचेंगी पूरा होने लगेगा ,जिसे आशीर्वाद देंगी फलित होगा |आसपास एक सकारात्मक उर्जा का आवरण बनेगा और दुःख दर्द कष्ट संकट समाप्त हो जायेंगे |कल तक जो हेय समझते थे ,अपमानित करते थे झुके होंगे सामने क्योंकि दुनिया में हर व्यक्ति स्वार्थी है बिना स्वार्थ कोई किसी को नहीं पूछता चाहे वह कोई भी हो |आपके सक्षम होते ही दुनिया के लोगों की दृष्टि और सोच बदल जायेगी क्योंकि सबको लाभ दिखेगा ,आपका भला तो अपने आप होगा |
             महादेवियों की कृपा से दैवीय शक्ति कोई भी स्त्री प्राप्त कर सकती है चाहे वह किसी भी वर्ण की ,जाती की ,उम्र की हो |आवश्यकता होती है एक सक्षम और ज्ञानी गुरु की जो किसी की आवश्यकता ,आतंरिक क्षमता ,सामाजिक -पारिवारिक स्थिति समझ उसे निर्देशित कर सके |तलाश कीजिये अपने लिए अनुकूल गुरु की और साधना कीजिये |यह बहुत कठिन नहीं ,अपने दैनिक जीवन को यथावत रखते हए किया जा सकता है मात्र एक -दो घंटे समय देकर ,कहीं भी ,कभी भी |थोडा समय तो लगता है किन्तु एक बार शक्ति प्राप्त होने पर पूरा जीवन सुखी हो सकता है |आज आपकी उम्र ३० की हो और आप शारीरिक रूप से मजबूत हों तो आप यह मत समझिये की कल भी ऐसा ही रहेगा |सरकारी नौकरी हो तो कुछ हद तक जीवन अच्छा हो सकता है किन्तु परिवार का सुख तब भी मिल ही जाएगा जरुरी नहीं |जो आज खुद पराश्रित हों उन्हें तो और भी अपने को सक्षम बनाना चाहिए |हो सकता है आज आपका पति आपसे आज बहुत स्नेह रखता हो किन्तु एक समय पति भी कमजोर होगा ,तब अगर बच्चों ने ध्यान नहीं दिया तो |बहुत से लोग समय रहते नहीं ध्यान देते बाद में कष्ट पाते हैं |ऐसे में खुद को दैवीय शक्तियुक्त बनाना बेहतर है ताकि आपको लोगों की नहीं लोगों को आपकी जरूरत पड़े |हमने अपने विचार रख दिए आप मानें या न मानें आपकी इच्छा |
हर हर महादेव ..........................................
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