ओज उर्जाए

जय महाकाल संग मा कामख्या

अलख जथुरी प्रणाम

ओज उर्जाए:- आज उर्जाए अघोड़ की रीढ़ की हड्डी समान है।सामान्य भाषा मे ओज ऊर्जाओं को उग्र उर्जाए कह सकते है।अघोड़ में बिना उग्र हुए न ओज ऊर्जाओं का निर्माण कर सकते हो न ही ओज ऊर्जाओं के चरम बिंदु पर पहुंच सकते हो।एक साधारण सा उद्दाहरण देता हूं समझना। अगर हमको किन्ही 2 साह्रो के बीच मे यात्रा करनी हो और गाड़ी में उतना पेट्रोल ही नही हो तो मंजिल तक नही पहुंच सकते चाहे गाड़ी कितनी भी महंगी ओर अछि हो।उसी प्रकार अघोड़ की कुछ प्रारंभिक साधनाओ को छोड़कर समस्त साधनाओ में अगर आपकी ओज उर्जाए उस साधना को पूर्ण करने हेतु सक्षम नही है तो आप चाहे कितने भी महंगे सामान ओर कितनी भी सटीक विधि से साधना कर लेवे वो साधना पूर्ण नही होगी।उल्टी अधूरी साधना फलस्वरूप फायदे की जगह नुकसान ही होगा।
अब बात करे कि ओज ऊर्जाओं का निर्माण,संवर्धन ओर उनको सरीर में एकत्रित करके कैसे रखा जाए तो इसके लिए सर्वप्रथम अपने अपने गुरु से चर्चा करें।आपके प्रत्येक के गुरु और उनके ज्ञान को इस अज्ञानी का नमन। बस एक बात की सुरुवात में कर देता हूं कि अघोड़ के पंचांगको से ही इनका निर्माण संभव है।
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