बगलामुखी यन्त्र /कवच कब धारण करते हैं ? क्या लाभ होते हैं ?

बगलामुखी यन्त्र /कवच कब धारण करते हैं ? क्या लाभ होते हैं ?
============================================
भागवती बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक मुख्य शक्ति हैं | इनकी एक विशेष प्रकृति और विशेष स्वरुप है जो बेहद पवित्र किन्तु उग्र है जिससे इनका भौतिक उपयोग विशेष स्थितियों में अधिक लाभप्रद होता है ,यद्यपि यह सभी उद्देश्य पूर्ण कर सकती हैं |इनके ऊर्जा की प्रकृति सबसे अलग और विशेष होती है जिससे यह विशिष्ट कर्मों के लिए अति उपयुक्त होती हैं |इन्ही को विष्णु की ब्रह्मात्र शक्ति माना जाता है और इनकी आराधना विष्णु ने अपनी आवश्यकता के लिए किया था |इनके यन्त्र को इनका आवास माना जाता है जहाँ इनकी प्रतिष्ठा करने पर इनकी ऊर्जा उस यन्त्र को धारण करने पर मिलती है |
इस यन्त्र को कब धारण करें -
[ १ ] जब आपकी उन्नति रुक जाए और घर -परिवार अथवा बाहर की कोई नाकारात्मक ऊर्जा /शक्ति आपके लिए अवरोधक हो जाए |जब शत्रु प्रकोप बढ़ जाए और प्राणों पर संकट महसूस हो अथवा शत्रु इतना प्रबल हो जाए की हर तरह से परेशान करने लगे और उस पर विजय की आकांक्षा हो |
[ २ ] जब आप ज्योतिष ,कर्मकांड ,शेयर ,सेल्स ,मार्केटिंग के नौकरी या व्यवसाय से जुड़े हों |आप व्याख्याता ,वकील ,राजनीतिक व्यक्ति ,वक्ता ,प्रवचनकर्ता ,बड़े आफिस के नियंत्रक ,अधिक कर्मचारियों के अधिकारी ,फील्ड में काम करने वाले इंजिनियर हों |
[ ३ ] जब आपको अक्सर विवाद ,मुकदमे अथवा मारपीट का सामना करना पड़ रहा हो तथा विवादों ,मुकदमों में विजय की आकांक्षा हो |मुकदमों से पीछा न छूट रहा हो अथवा पराजय की आशंका हो |
[ ४ ] जब लोग प्रतिकूल हो रहें हों ,लोगों और अधिकारियों की अनुकूलता की आकांक्षा हो ,उन को प्रभावित करना हो ,अपना प्रभाव स्थापित करना हो |
[ ५ ] जब किसी बेवजह की कानूनी अडचन का सामना करना पड़ रहा हो अथवा कोई किसी मामले में अनावश्यक फंसा रहा हो |जब कोई आपके अधिकार हड़प रहा हो |
[ ६ ] आप किसी तांत्रिक अभिचार ,टोने -टोटके ,किये -कराये से पीड़ित हों |आप पर बार बार टोने -टोटके हो रहे हों |आप किसी ऐसी बाधा से पीड़ित हों जिसको चाह कर भी हटा नहीं पा रहे हों |
[ ७ ] आपका आवागमन ऐसे क्षेत्रों से हो जहाँ वायव्य बाधाओं ,भूत -प्रेत -पिशाच -जिन्न आदि द्वारा प्राभावित होने का भय हो |आपका कार्यक्षेत्र ऐसा हो की वहां इन शक्तियों का प्रभाव होने की आशंका हो |
[ ८ ] आपके घर -परिवार में किसी ऐसी नकारात्मक शक्ति का वास हो जो आपको शारीरिक ,मानसिक कष्ट दे रहा हो जिससे आप सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हों |
[ ९ ] आपकी औरा अथवा आभामंडल नकारात्मक हो रही हो जिससे लोग आपके प्रति आकर्षित न होते हों |आपको लोगों का समुचित सम्मान न मिलता हो |लोग आपसे प्रभावित न होते हों |
[ १० ] कुंडली में मंगल ,सूर्य और वृहस्पति से सम्बन्धित बाधाएं आ रही हों |पित्र दोष का प्रकोप हो |
[ ११ ] कार्यक्षेत्र में स्थायित्व का अभाव हो अथवा बार बार अनिच्छित स्थानान्तरण से परेशान हों ,अथवा इच्छित स्थानान्तरण की चाहत हो |
[ १२ ] ठीक से कार्य न कर पाते हों ,ऊर्जा -उत्साह -शक्ति की कमी महसूस होती हो अथवा आलस्य -प्रमाद -एकाग्रता की समस्या हो |
[ १३ ] आपको बहुत लोगों को नियंत्रित करना हो जिसमे आपको दिक्कत आती हो |अधीन कर्मचारी अवहेलना कारते हों ,समूह को नियंत्रित -आकृष्ट करना हो |
[ १४ ] हीन भावना से ग्रस्त हों ,डिप्रेसन हो ,खुद की क्षमता व्यक्त न कर पाते हों |अपनी योग्यता का परिणाम न मिलता हो |दब्बू हों ,किसी का सामना करने में घबराते हों |
[ १५ ] असाध्य और लम्बी बीमारी से पीड़ित हों अथवा आपकी बीमारी चिकित्सक की पकड़ में न आ रही हो ,कोई अंग ठीक से कार्य न कर रहा हो ,ह्रदय ,लीवर आदि की समस्या हो |
[ १६ ] स्वास्थ्य कमजोर हो ,आभामंडल नकारात्मक हो ,किसी पर आपका प्रभाव न पड़ता हो अथवा लोग आपसे अनावश्यक दूर भागते हों ,चंचलता -उत्साह की कमी हो ,पर्याप्त ऊर्जा न महसूस होती हो ,मोटापे से परेशान हों |
[ १७ ] समाज में पर्याप्त सम्मान न मिलता हो ,बार बार अपयश मिलता हो ,जो कार्य आपने न किये हों उसका भी लांछन लगता हो ,घर -परिवार के छोटे -बड़े उचित सम्मान न देते हों या घर में उचित स्थान न मिलता हो |कार्यक्षेत्र में उचित स्थान न प्राप्त होता हो |
[ १८ ] उच्च वर्ग का अक्सर विरोध मिलता हो ,उच्च वर्ग साथ न देता हो ,शक्तिशाली वर्ग पीड़ित करता हो ,बौद्धिक लोग दूरी बनाते हों |खुद की बौद्धिक क्षमता को उचित स्थान न मिलता हो |
[ १९ ] आय के स्रोतों में उतार-चढ़ाव से परेशान हो, अच्छा खासा कमाने पर भी बचत न हो पाती हो ,अनायास व्यय अथवा अपव्यय होता हो |ऋण की स्थिति बार बार उत्पन्न होती हो |
[ २० ] कोई धन दबाकर बैठा हो ,दिया पैसा या उधार वापस न मिल पा रहा हो ,साझेदार धोखा दे रहे हों ,मित्र -सहयोगी धोखे पर उतारू हों |साझेदार -मित्र -सहयोगी दबा रहे हों ,पीड़ित कर रहे हों ,शोषण पर उतारू हों |
[ २१ ] चुप रहने की आदत हो ,कोई भी कुछ भी बोलकर चला जाता हो ,अनायास विवाद ,मारपीट हो जाती हो ,उचित स्थान पर उचित जबाब भी न दे पाते हों ,अपने आप को व्यक्त न कर पाते हों तो आपको बगलामुखी का यन्त्र /कवच धारण करना चाहिए |
यन्त्र /कवच धारण से लाभ
---------------------------------..
१. भगवती बगलामुखी की कृपा से व्यक्ति की सार्वभौम उन्नति होती है |,सम्मान प्राप्त होता है ,| आभामंडल की नकारात्मकता समाप्त होती हैं |शरीर का तेज बढ़ता है |
२. शत्रु पराजित होते है ,शत्रु की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है ,उसका स्वयं विनाश होने लगता है | ,मुकदमो में विजय मिलती है ,वाद विवाद में सफलता मिलती है |सर्वत्र विजय का मार्ग प्रशस्त होता है |
३. उन्नति में आ रही बाधाओं का प्रभाव कम होने लगता है | घर -परिवार अथवा बाहर की कोई नकारात्मक ऊर्जा /शक्ति आपके लिए अवरोधक नहीं बन पाती | शत्रु प्रकोप से राहत मिलती है  और उस पर विजय प्राप्त होती है |
४. आपका शरीर किसी भी वायव्य बाधा ,भूत -प्रेत से सुरक्षित रहता है किसी जानी -अनजानी जगह आने जाने पर |
५. मानसिक चिंता ,विचलन ,डिप्रेसन से बचाव होता है और राहत मिलती है |हीन भावना समाप्त होती है |खुद को व्यक्त करने में आ रही कमजोरी समाप्त होती है |
६. नकारात्मक प्रभावों से आय -व्यय का असंतुलन समाप्त होता है |व्यक्तिगत उन्नति में आ रही रुकावट हटती है |अनावश्यक और आकस्मिक व्यय में कमी आती है |रोग -बीमारी का प्रकोप कम होता है |
७. पारिवारिक सुख ,दाम्पत्य सुख बढ़ जाता है |लोगो पर प्रभाव बढ़ता है परिवार में |उचित सम्मान प्राप्त होता है |
८. कर्मचारी वर्ग की अनुकूलता प्राप्त होती है ,व्यक्तित्व का प्रभाव बढ़ता है| अधिकारी -कर्मचारी सभी प्रभावित होते हैं योग्यता -क्षमता -व्यक्तित्व से |नौकरी ,व्यवसाय ,कार्य में स्थायित्व प्राप्त होता है | व्यक्ति के आभामंडल में परिवर्तन होने से लोग आकर्षित होते है ,प्रभावशालिता बढ़ जाती है |
९.,वायव्य बाधाओं से सुरक्षा होती है ,पहले से कोई प्रभाव हो तो क्रमशः धीरे धीरे समाप्त हो जाती है |,.किसी अभिचार /तंत्र क्रिया द्वारा अथवा किसी आत्मा आदि द्वारा शरीर को कष्ट मिलने से बचाव होता है |
१०. तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव समाप्त हो जाते है ,भविष्य की किसी संभावित क्रिया से सुरक्षा मिलती है |किये -कराये -टोने -टोटके की शक्ति क्रमशः क्षीण होते हुए समाप्त होती है |
११. भूत-प्रेत-वायव्य बाधा की शक्ति क्षीण होती है ,क्योकि इसमें से निकलने वाली सकारात्मक तरंगे उनके नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास करते हैं और उन्हें कष्ट होता है |,
१२. उग्र देवी होने से नकारात्मक शक्तियां इनसे दूर भागती हैं और धारक के पास आने से कतराती हैं |किसी वायव्य बाधा का प्रभाव शरीर पर कम हो जाता है |
१३. ,परीक्षा ,प्रतियोगिता आदि में सफलता बढ़ जाती है |हीन भावना में कमी आती है ,खुद पर विश्वास बढ़ता है |एकाग्रता बढती है तथा उत्साह ,ऊर्जा में वृद्धि होती है |
१४. मांगलिक ,पारिवारिक कार्यों में आ रही रुकावट दूर होती है |ग्रह बाधाओं का प्रभाव कम होता है |सूर्य ,मंगल और गुरु के दुष्प्रभाव की शक्ति क्षीण होती है |
१५. उच्च वर्ग का विरोध कम हो जाता है ,उच्च वर्ग साथ देता है ,शक्तिशाली वर्ग पर प्रभाव बढ़ता है |खुद की बौद्धिक क्षमता को उचित स्थान मिलता है |
१६. शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह बढने से आत्मबल और कार्यशीलता में वृद्धि होती है |कोशिका क्षय की दर कम होती है |अवचेतन की सक्रियता बढती है |
१७. आलस्य ,प्रमाद का ह्रास होता है |व्यक्ति की सोच में परिवतन आता है ,उत्साह में वृद्धि होती है |नया जोश उत्पन्न होता है |ह्रदय मजबूत होता है |साहस वृद्धि होती है |स्वभाव में तीव्रता उत्पन्न होती है |चंचलता बढती है |
१८. किसी भी व्यक्ति के सामने जाने पर सामने वाला प्रभावित हो बात मानता है और उसका विरोध क्षीण होता है |,पारिवारिक कलह ,विवाद कम हो जाता है तथा लोगों पर आकर्षक शक्तियुक्त प्रभाव पड़ता है |
१९. घर -परिवार में स्थित नकारात्मक ऊर्जा की शक्ति क्षीण होती है जिससे उसका प्रभाव कम होने लगता है |पारिवारिक सौमनस्य में वृद्धि होती है |
२०. लीवर ,ह्रदय ,अन्तःस्रावी ग्रंथियों ,मष्तिष्क ,स्वचालित क्रिया प्रणाली की समस्या , किसी अंग की कम क्रियाशीलता में सुधार होता है |मोटापे की समस्या ,प्रमाद -आलस्य -उत्साह में कमी -साहस की कमी में राहत मिलती है |
२१. स्थान दोष ,मकान दोष ,पित्र दोष ,वास्तु दोष का प्रभाव व्यक्ति पर से कम हो जाता है क्योकि अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होने लगता है उसमे |
यह समस्त प्रभाव यन्त्र धारण से भी प्राप्त होते है और साधना से भी |,यन्त्र में उसे बनाने वाले साधक का मानसिक बल ,उसकी शक्ति से अवतरित और प्रतिष्ठित भगवती की पारलौकिक शक्ति होती है जो वह सम्पूर्ण प्रभाव प्रदान करती है , किन्तु धारणीय यन्त्र का यदि उपयुक्त लाभ प्राप्त करना हो तो ,कम से कम २१ हजार मूल मन्त्रों से अभिमन्त्रण और उपयुक्त मुहूर्त में विधिवत तांत्रिक विधि से प्राण प्रतिष्ठा होना आवश्यक है, अन्यथा मात्र रेखाएं खींचने से कुछ नहीं होने वाला ,जबतक की उन रेखाओं में भगवती को प्रतिष्ठित न किया जाए और उपयुक्त शक्ति न प्रदान की जाए |२१ हजार मन्त्रों से अभिमन्त्रण में खर्च अधिक आता है अतः सामर्थ्य अनुसार 1100 अथवा 11000 मन्त्रों से अभिमंत्रित भी इन्हें कराया जा सकता है ,बस ऊर्जा कुछ कम हो जायेगी इन ताबीज /कवच की |..[मुक्ति मार्ग ]...........................................................हर-हर महादेव
Aacharya Goldie Madan
Whats app +16475102650 and +919717032324

Comments

Popular posts from this blog

vashikaran mohini and solution to all problems

BAGLAMUKHI VASHIKARAN MOHINI MANTRA

Baglamukhi jayanti sadhna