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Showing posts from September, 2022

कामदायिनी_षोडशी_साधन

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#कामदायिनी_षोडशी_साधन ।। ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ "पीत्वा पीत्वा पुनर्पित्वा पतित भूतले"इतना अधिक पियो को धरती पर गिर पड़ो। षोडशी पूजा में साधक भगवतीरूपी कन्या या स्त्री को कारण वारि यानी मद्य अर्पण करते है और स्वयं भी प्रसाद  रूप में इतना अधिक मद्य पिते है की उन्हें अपना होश नहीं रहता ,इतना अधिक पियो को धरती पर गिर पड़ो।मद्य पिने से मनुष्य अपने होश-हवास खो बैठता है।किसी भी नशीली वस्तु के सेवन से शरीर के तंतुओ पे एक प्रकार की तीव्रता आ जाती है और मद्य में ये प्रभाव है  की वह  शरिर और मन की अच्छी-बुरी प्रवृत्तियों को उभार देती है।क्रोधी व्यक्ति के क्रोध को,कामी व्यक्ति के काम को,इसी प्रकार उस व्यक्ति के शरीर व मन में बUसने वाले गुणों और दुर्गुणों को उभार देती है।और अपने ही शरिर  की सुधा नहीं रहती। स्त्री पुरुष के सम्बन्ध के समय जो चरम आनंद की स्थिति होती है उसे विश्यानंद की संज्ञा दी गई है,स्त्री सम्बन्ध से जो विषयानंद प्राप्त होता है वह परमात्मा के आत्मा के मिलने के परमानंद से कुछ ही कम है।विषयानंद को परमानंद का सहोदर माना जाता है। बहुत से सम्प्रदाय सही मार्ग दर्शन नहीं कर पान...

शिवजी_की_प्रिय_वस्तुएं

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#शिवजी_की_प्रिय_वस्तुएं ********************** शिवजी की पूजा में शिवलिंग अभिषेक और उस पर अर्पित की जाने वाले चीजें अलग-अलग होती है जो भगवान शिव को अतिप्रिय है।जिनकी जानकारी नीचे दी गई है।शिवाभिषेक में जल सर्वोत्तम और हर स्थान पर उपलब्ध होता है।जलाभिषेक भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं।इससे मन शांत होता है एवम मन स्नेहमय हो जाता है।जल के अलावा भी जिन वस्तुओं का नाम दिया गया है उनसे शिवजी का अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा-आशीर्वाद ,कांतिमय काया,सौम्यता प्राप्त होती है। वही दरिद्रता का नाश होता है।जीवन सुख मय व्यतीत होता है।समस्त सिद्धियों के दाता भगवान शिव प्रसन्न होकर समस्त सिद्धियों को प्रदान करते है। १.जल  २.केसर  ३.चीनी  ४.इत्र  ५.दुध  ६.दही  ७.घी  ८.चंदन  ९.शहद  १०.भाँग 🚩जै श्री महाकाल🚩आदेश आदेश नमो नमः 📞+ 16475102650 and +919717032324 Aacharya Goldie Madan नोट:-बिना गुरु या मार्गदर्शक के निर्देशन के साधनाए या प्रयोग ना करे।

श्री त्रिपुरसुंदरी कवच

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🌹 1.. श्री त्रिपुरसुंदरी प्रात: स्मरण स्तोत्र हिन्दी पाठ 🌹2..श्री  त्रैलोक्य मोहन महात्रिपुरसुंदरी कवच            हिन्दी पाठ 🌹3.. श्री त्रिपुरसुंदरी कवच हिन्दी पाठ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ऐ ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ भगवति त्रिपुरसुंदरी मम सर्व कार्य सिद्धिम देही देही       कामेश्वरि नमः ॐ ह्रीं ऐं सर्व काम्य सिद्धि महात्रिपुरसुदर्यै फट् ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीत्रिपुरसुंदर्यै नमः 🌹🌹1..श्रीत्रिपुरसुन्दरी प्रातः स्मरणम् स्तोत्र🌹🌹🌹         श्रीमदादिशंकराचार्य कृत स्तोत्र  हिन्दी पाठ जिनके नीले केश अत्यधिक मनोहर एवं कस्तूरी की दिव्य सुगन्ध से युक्त हैं, जो नवीन मोतियों के हार से सुशोभित हैं ऐसी भगवती श्रीललिता जो कमल के समान नेत्रों वाली हैं उनका मैं प्रातः काल में स्मरण करता हूँ। जिनका चूड़ा अखण्ड पुण्य राशि से निर्मित है, जिनके शरीर की शोभा उत्तप्त स्वर्ण के सदृश है, जो देवी मुनियों व ऋषियों के मानस की राजहंसी हैं ऐसी परमेश्वरी श्रीललिता का मैं प्रातः काल में स...

देवपूजन के नियम

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देवपूजन के नियम 〰️💐💐💐〰️💐💐💐〰️💐💐💐〰️ 1👉  घर में पूजा करने वाला एक ही मूर्ति की पूजा नहीं करें। अनेक देवी-देवताओं की पूजा करें। घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश नहीं रखें। 2👉शालिग्राम की मूर्ति जितनी छोटी हो वह ज्यादा फलदायक है। 3👉 कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है। 4👉 मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं। पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए। 5👉 पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं। 6👉  तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं। 7👉 आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं। दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है। 8👉 कुशा के अग्रभाग से देवताओं पर जल नहीं छिड़के। 9👉 देवताओं को अंगूठे से नहीं मले। चकले पर ...

अपराधक्षमापणस्तोत्रम्

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#अपराधक्षमापणस्तोत्रम्  ********************* ॐ अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि।।१।। आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।२।। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।।३।। अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् । यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः ।। ४।। सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके । इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु ।। ५।। अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रोन्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् । तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि ।। ६।। कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे । गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि ।। ७।। गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्। सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसात्सुरेश्वरि।।८।। ।। इति अपराधक्षमापणस्तोत्रं समाप्तम्।।                     (श्रीदुर्गासप्तशती अनुसार) 🚩जै श्री महाकाल🚩आदेश आदेश नमो नमः Aacharya Goldie Madan 📞+ 16475102650 and +919717032324 नोट:-ब...

श्रीपद्मावती सहस्रनामस्तोत्रम् पदमावती कवचम्

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1..🌹🌹🌹श्रीपद्मावती सहस्रनामस्तोत्रम्🌹🌹🌹 2..🌹🌹 पदमावती कवचम् 🌹🌹 पदमावती देवी की साधना वैष्णव मत,शक्ति मत, और जैन मत में अलग-अलग स्वरूप में होती है वैष्णव मत में तिरूपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर  की पत्नी पदमावती देवी है  जो लक्ष्मी अवतार है।। जो स्वम्भू रूप से कमल-पुष्प से उत्पन्न होने के कारण पदमावती कहलाई। शाक्त  मत में पदमावतीसर्वज्ञेश्वर भैरव की शक्ति है। और महालक्ष्मी के तांत्रिक रूप की प्रतीक है। जैन धर्म में पदमावती यक्षिणी देवी है जो धरणेन्द्र यक्ष की पत्नी हैं और पारसनाथ तीर्थंकर की  रक्षिका शक्तिहैं   यह दोनों पूर्व जन्म में नाग नागिन थे । बाद में पारसनाथ जी की कृपा से यक्ष यक्षिणी बनें और उनके सेवक बने बौद्ध तंत्र में भी इनके यक्षिणी रूप की साधना होती है यद्यपि इन सभी संप्रदायो के बहुत से  साधना मंत्रो में काफी समानता है।एक ही मंत्र विभिन्न मत के लोग अपनी भावनानुसार प्रयोग करते हैं। निम्नलिखित स्तोत्र शक्ति संप्रदाय की पदमावती देवी को समर्पित है  ।जो शक्ति रूपा है और महालक्ष्मी का तांत्रिक रूप  भी समाहित किए हुए हैं 1....🌹...