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हनुमान चालीसा का पाठ कब और कितनी बार किया जाने से क्या लाभ मिलते है ?

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हनुमान चालीसा का पाठ कब और कितनी बार किया जाने से क्या लाभ मिलते है ? ======================================================== १. हनुमान चालीसा का 100 बार जप करने पर आपको सभी भौतिकवादी चीजों से मुक्ति मिल जाती है  २.हनुमान चालीसा का 21 बार जाप करने से धन में वृद्धि होती है। ३. हनुमान चालीसा का 19 बार जाप करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। ४.हनुमान चालीसा का 7 बार जाप करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ५.हनुमान चालीसा का 1 बार जप करने से भगवान हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है और आपको हर स्थिति में विजयी होने में मदद मिलती है। ६.अगर आप अपने जीवन में एक साथ कई परेशानियों से परेशान है और हनुमान जी की विशेष कृपा पाना चाहते है तो सुबह के 4 बजे 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करे  ७.मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का 1 बार जप करने से हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है और मंगल दोष, साढ़े साती जैसे हर दोष का निवारण होता है। ८.भगवान हनुमान जी का नाम जप करने से आपके आसपास एक सकारात्मक आभा का निर्माण होता है। ९.राम नाम का जप या राम हनुमान का कोई भी राम भजन, हनुमान जी को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है क्योंक

Matangi jayanti sadhna

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Matangi sadhna on 21/22/23 april Night 9pm onwards North facing Red aasan Red cloths Moonga(coral) mala /rudraksh mala 21 mala daily for 3 days Sankalp: as per audio Hreem kleem hoom matangaye phat swaha Aacharya Goldie Madan Whats app +16475102650 and +919717032324 साधना विधि यह साधना मातंगी जयन्ती, मातंगी सिद्धि दिवस अथवा किसी भी सोमवार के दिन से शुरू की जा सकती है। यह साधना रात्रिकालीन है और इसे रात्रि में ९ बजे के बाद शुरु करना चाहिए। सर्वप्रथम साधक स्नान आदि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र पहिनकर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठ जाए। अपने सामने लाल वस्त्र बिछा ले। इस साधना में माँ मातंगी का चित्र, यन्त्र और लाल मूँगा माला का महत्व बताया गया है, परन्तु सामग्री उपलब्ध ना हो तो किसी ताँबे की प्लेट में स्वास्तिक बनाए और उस पर एक सुपारी स्थापित कर दे और उसे ही यन्त्र मानकर स्थापित कर दे। आपके पास मातंगी का चित्र ना हो तो आप ”माताजी” का ही मातंगी स्वरुप में पूजन करे, माताजी तो स्वयं ही ”जगदम्बा” है और माला के विषय में स्फटिक माला, लाल हकीक माला, मूँगा माला, रुद्राक्ष माला में

बगलामुखी दीक्षा के बारे में कुछ मह्त्वपूर्ण जानकारियां

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बगलामुखी दीक्षा के बारे में कुछ मह्त्वपूर्ण जानकारियां  ====================================          दस महाविद्याओं में शत्रु का स्तम्भन करने, शत्रु का नाश करने में बगलामुखी का नाम सबसे ऊपर है | इस देवी का दूसरा नाम पीताम्बरा भी है | इसी विद्या को ब्रह्मास्त्र विद्या कहा जाता है | यही है प्राचीन भारत का वह ब्रह्मास्त्र जो पल भर में सारे विश्व को नष्ट करने में सक्षम था | आज भी इस विद्या का प्रयोग साधक शत्रु की गति का स्तम्भन करने के लिये करते हैं | ये वही विद्या है जिसका प्रयोग मेघनाद ने अशोक वाटिका में श्री हनुमान पर किया था ( राम चरित मानस के सुन्दर कांड में इसका उदाहरण है |[ ब्रह्म अस्त्र तेहि सांधा कपि मन कीन्ह विचार, जो न ब्रह्म सर मानऊ महिमा मिटै अपार ], ये वही ब्रह्मास्त्र है जिसकी साधना श्रीराम ने रावण को मारने के लिये की थी, ये वही ब्रह्मास्त्र है जिसका प्रयोग महाभारत युद्ध के अंत में कृष्ण द्वैपायन व्यास के आश्रम में अर्जुन और अश्वत्थामा ने एक दूसरे पर किया था और जिसके बचाव में श्री कृष्ण को बीच में आना पड़ा था | ( महाभारत के अंत में ) ये वही सुप्रसिद्ध विद्या है जिसके प्रयोग

🔱🚩llब्रह्मास्त्र महाविद्या बगलामुखीll🚩🔱

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🔱🚩llब्रह्मास्त्र महाविद्या बगलामुखीll🚩🔱 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ "ह्लीं" इस महाविद्या  का बीज मंत्र  हैं ,  जिसे रक्षा  बीज  मंत्र  के नाम से भी तंत्र ग्रंथो में संबोधित किया हैं .   जिसने  सारे संसार को  अपनी दिव्यता से  जोड़ रखा/बाँध रखा हैं  जो स्तभन के माध्यम से   संसार  की रक्षा  करती हैं .कई जगह  "ह्रीं"  को भी  इस महाविद्या का  बीज मंत्र माना गया हैं कुछ स्त्रोतों में  ऐसा भी लिखा  हैं , पर बहु संख्यक साधक  तो  "ह्लीं"  को ही बीज मंत्र मानते हैं साधको के  मध्य वैसे  तो  ३६ अक्षरी मंत्र  ज्यादा  प्रचलित  हैं, अधिकतर  साधक इसी  मंत्रो को जपने के लिए उपयोग करते हैं , 🍁वैसे किसी भी महाविद्या साधना में  उसके  पंचांग  की विशेष भूमिका रहती हैं ओर ये पंचांग  होते हैं  कवच  , स्त्रोत ,  सहत्रनाम ,  ध्यान , मंत्र की बहुत ही महत्वपूर्ण  भूमिका रहती हैं साधक  को इनके बारे में भी जानना  चाहिए , ये मंत्र  की बराबरी नहीं कर  सकते हैं पर इनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता हैं . विशेषकर यदि  सहस्त्रनाम  को विशेष भाव भूमि  के  साथ  उच्चारित किया जाये तो  विशेष फल  प्राप्ति