Hanuman shabar mantra
*हनुमान जन्मउत्सव के उपलक्ष में आप सभी के लिए एक निशुल्क विशेष उपाय दे रहा हूं इस उपाय को आप सभी अवश्य करें*
*🌷अचूक शाबर हनुमत पंचक दिव्य प्रयोग🌷-*
आदरणीय प्यारे भक्तो आप सभी को हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक अभिनंदन... आज मैं एक अचूक दिव्य प्रयोग यहां पर उपस्थित कर रहा हूं । यह साबर हनुमत् पंचकं के नाम से जाना जाता है दीपक प्रज्वलित करें....गूगल का धुना देकर... हनुमान जी का जथा शक्ति पूजन करें.... उसके पश्चात अपने पीड़ा बताते हुए अपने मनोकामना बताते हुए हनुमान जी से प्रार्थना करें कि हे प्रभु आपके लिए कोई भी कार्य संभव नहीं है ऐसा कौन सा मनोकामना है जो आपके द्वारा संभव ना हो..... हे प्रभु श्री राम दूत हनुमान श्री राम भक्त हनुमान मेरे यह मनोकामना परिपूर्ण करें इसी आशा में आपके श्री चरणो में आश्रय लेने आया हुं..... उसके पश्चात इस दिव्य हनुमत साबर पंचक को मत्तगयंद छंद में पाठ करें । अपने सुविधानुसार एक पाठ कर सकते हैं तीन पाठ कर सकते हैं 5 पाठ कर सकते हैं 7 पाठ कर सकते हैं 11 पाठ कर सकते हैं सर्वाधिक 108 पाठ भी कर सकते हैं । पाठ करने से पूर्व हनुमान जी का पूजन करके सर्वप्रथम पीपल वृक्ष का 7 परिक्रमा करके अवश्य आइएगा उसके बाद पाठ करिएगा । चाहें बात कर्ज कि समस्या की हो, विलंब विवाह की समस्या हो, कार्य सिद्धि ना हो पा रहा हो, कोई भी मनोकामना अधूरा रह जाता हो, शत्रु बाधा हो, वास्तु दोष हो, या फिर कोई भी समस्या व्यक्ति को ग्रसित किया हो.... समस्त प्रकार के मनोकामना की पूर्ति के लिए यह अचूक तथा दिव्य है।
दोहा :- संचक सुख कंचक कवच पंचक पूरन बान ।
रंचक रंचक कश्ट ना हनुमत पंचक जान ।।
ग्राहि नसहि पठाहि दिवदेवमहाहि सराहि सिधारी ।
वीर समीरन श्री रघुवीरन धीरहिं पीर गम्भीर विदारी ।।
कंद अनंद सुअंजनिनंद सदा खलवदन मंदजहारी ।
भूधर को घर के कर ऊपर निर्जर केजुद की जरी जारी ।।1।।
बालि सहोदर पालि लयो हरि कालि पतालिहु डालि दई है।
भालि मरालिसि सीय करालि बिडालि निषालि बिहालि भई है ।।
डालि डरालि महालिय राय गजालिन चालि चपेट लई है।
ख्यालिहिं षालि दई गंध कालि कपाल उत्तालि बहालि गई है ।।2।।
आसुविभावसु पासु गए अरू तांसु सुहासु गरासु धरयो है।
अच्छ सुबच्छन तच्छन तोरि स रच्छन पच्छन पच्छ कर्यो है ।।
आर अपार कु कार पछार समीर कुमार भर्यो हैं ।
को हनुमान् समान जहान बखानत आज अमान भर्यो है।।3।।
अंजनि को सुत भंजन भीरन सज्जन रंजन पंज रहा है।
रूद्र समुद्रहि धुद्र कियो पुनि क्रुद्ध रसाधर ऊर्द्ध लहा है ।।
मोहिन ओप कहो पतऊ तुब जोप दया करू तोप कहा हे।
गथ्थ अकथ्थ बनत्त कहा हनुमत्त तु हथ्थ समथ्य सहा है।।4।।
भान प्रभानन कै अनुमान गए असमान बिहान निहारी ।
खान लग मधवानहु को सुकियो अपमान गुमानहिं गारी।।
प्राण परान लगे लच्छमानतु आनन गानपती गिरधारी ।
बान निवाय सुजान महानसु है हनुमान् करान हमारी।।5।।
दोहा:- बसुदिषि औं पौराण दषा इक इक आधे आन।
सित नवमी इश इंदु दिन पंचक जन्म जहान ।।
Aacharya Goldie Madan
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