शादी में विलंब या शादी न होने से हैं परेशान, जानें कारण और करें समाधान

शादी में विलंब या शादी न होने से हैं परेशान, जानें कारण और करें समाधान
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✍️मेरी शादी कब होगी, जीवनसाथी कैसा होगा, विवाह में कोई विलंब तो नहीं और अगर है तो क्या? और शादी के उपाय क्या हैं? विवाह योग्य युवक और युवतियों के मन में ऐसे कई सवाल अाते हैं, लेकिन उचित जानकारी के अभाव में इसका जवाब नहीं मिल पाता। भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों में विवाह संस्कार भी आता है, जो अहम है। कई बार शादी नहीं होती और कई बार शादी के बाद संबंध विच्छेद हो जाता है। यह सब कुछ ग्रहों के फेर के कारण होता है। कुंडली का सातवां घर बताता है कि आपकी शादी किस उम्र में होगी। शादी के लिए कौन सी दिशा उपयुक्त रहेगी जहां प्रयास करने पर जल्द ही शादी हो सके। कुल मिलाकर जब एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव सातवें घर पर हो तो विवाह में विलंब होता है।

ग्रहों के कारण अाती है विवाह में बाधा
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब कुंडली, यदि छठे घर से संबंधित दशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो विवाह में विलंब या विघ्न उत्पन्न होता है। कई बार विलंब से शादी होने पर भी उपयुक्त जीवन साथी नहीं मिल पाता है। यहां हम विवाह में विलंब के कारणों और उनके समाधान के उपायों के बारे में जाने
कुंडली के विश्लेषण के अाधार पर अपने विवाह के संबंध में पूरी और सटिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

विवाह में बाधक परिस्थितियां
यदि दशा या अंतर दशा विवाह के लिए उपयुक्त हैं तो गोचर के ग्रहों की जानकारी भी जरुरी होती है, सबसे पहले गुरु और शनि की मंजूरी होनी चाहिए। जब गुरु और शनि गोचर में कुंडली में लग्न से सातवें स्थान से संबंध बनाते हैं, चाहे दृष्टि द्वारा या अपनी स्थिति द्वारा, तो कुंडली में विवाह योग का निर्माण होता है। जिन घरों में ग्रह गोचर करते हैं, उन घरों से संबंधित अष्टक वर्ग के नंबर अवश्य अवश्य होने चाहिए, अन्यथा ग्रहों की मंजूरी के उपरांत भी विवाह नहीं हो सकता। इसी तरह मंगल और चन्द्र ग्रहों का संबंध, पांचवें और नौवें घर से होना चाहिए। शुभ और सुखी विवाहित जीवन के लिए 12 वें और 11 वें घरों का शुभ होना भी आवशयक है। छठा और दसवां घर विवाह में रूकावट उत्पन्न करता है।

– कुंडली के सातवें घर से पता चलता है कि आपकी शादी किस उम्र में होगी और शादी के लिए कौन सी दिशा उपयुक्त है।

– शुक्र, बुध, गुरु और चन्द्र ये शुभ ग्रह हैं। इनमें से कोई एक भी यदि सातवें घर में बैठा हो तो शादी में आने वाली रुकावटें समाप्त हो जाती हैं।

– यदि इन ग्रहों के साथ कोई अन्य ग्रह भी हो तो शादी में व्यवधान आता है। राहू, मंगल, शनि, सूर्य अादि अशुभ ग्रह हैं। इनका सातवें घर से किसी भी प्रकार का संबंध शादी या दांपत्य के लिए शुभ नहीं होता है।

– सातवें घर में बुध हो तो जल्दी विवाह के योग होते हैं। यदि बुध पर किसी अन्य ग्रह का प्रभाव न हो तो 20 से 25 वर्ष की उम्र में शादी का योग बनता है।

– यदि शुक्र, गुरु या चन्द्र आपकी कुंडली के सातवें घर में हैं तो 24- 25 की उम्र में शादी होने की संभावना रहती है।

– गुरु सातवें घर में हो तो शादी 25की उम्र में होती है। गुरु पर सूर्य या मंगल का प्रभाव हो तो एक साल का विलंब हो सकता है और यदि राहू या शनि का प्रभाव हो तो 2 साल तक का विलंब हो सकता है।

– चन्द्र सातवें घर में हो और उसपर मंगल, सूर्य में से किसी एक का प्रभाव हो तो शादी 26 साल की उम्र में होने का योग बनेगा। इसी तरह शनि का प्रभाव मंगल पर हो तो शादी में तीन साल और राहू का प्रभाव होने पर 27 वर्ष की उम्र में शादी होती है, लेकिन इसमें भी काफी बाधाएं अाती हैं।

– सूर्य यदि कुंडली के सातवें घर में हो और उस पर किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव न हो तो 27 वर्ष की उम्र में शादी का योग बनता है।

– मंगल, राहू केतु में से कोई एक यदि सातवें घर में हो तो शादी में काफी विलंब हो सकता है। राहू के यहां होने से आसानी से विवाह नहीं हो सकता। यही नहीं बात पक्की होने के बावजूद रिश्ते टूट जाते हैं। इसी तरह केतु अगर सातवें घर में है तो शादी में अड़चनें पैदा करता है।

– शनि सातवें घर में हो तो जीवन साथी समझदार और विश्वासपात्र होता है। सातवें घर में शनि योगकारक होता है फिर भी शादी में विलंब होता है। वहीं शनि सातवें घर में हो तो 30 वर्ष की उम्र के बाद शादी होती है।

– शनि, मंगल, शनि राहू, मंगल राहू या शनि सूर्य या सूर्य मंगल, सूर्य राहू एक साथ सातवें या आठवें घर में हों तो विवाह में काफी विलंब की संभावना रहती है।

– विवाह के योग में किसी कारण विवाह स्थगित हो जाता है,  तो फिर शादी में विलंब होता है।

– विवाह में देरी होने का एक कारण मांगलिक होना भी होता है। अाम तौर पर मांगलिक लोगों का विवाह 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में होता है।

शादी के कारक
– सप्तम भाव पर शुभ ग्रहों यथा गुरु शुक्र आदि की दृष्टि हो।

– सप्तमेश लग्न में या लग्नेश सप्तम में हो।

– सप्तम भाव का स्वामी केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित हो।

– सप्तमेश ग्यारहवें भाव (लाभ भाव) में हो।

– सप्तम भाव के कारक ग्रह शुक्र पर अशुभ की दृष्टि या युति न हो तथा शुक्र ग्रह केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित हो।

– सप्तमेश उच्च होकर लग्नेश से युति बना रहा हो।

– नवमेश सप्तमेश हो और सप्तमेश नवम भाव में हो तो शादी होती है।

जीवनसाथी की आर्थिक स्थिति
– यदि चतुर्थ भाव के स्वामी केन्द्रभाव के स्वामी के साथ युति या दृष्टि रखता है तो जीवनसाथी व्यवसायी हो सकता है।

– इसी प्रकार अगर सप्तमेश, दूसरे, पांचवे, नवें, दसवें या ग्यारहवें भाव में हो और चन्द्र, बुध या शुक्र सप्तमेश हों, तो भी जीवनसाथी व्यापारी होगा।

– यदि आपकी जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी दूसरे या बारहवें भाव में है तो जीवनसाथी नौकरीपेशा होगा।

– यदि सप्तमेश तथा चतुर्थेश नवमांश में उच्च या स्वराशि में हो तथा एक दूसरे से युति या दृष्टि स्थापित कर रहा हो तो जीवनसाथी नौकरीपेशा और उच्चाधिकारी होता है।

– यदि शनि का चतुर्थ भाव से संबंध बन रहा हो तो आपका जीवनसाथी नौकरीपेशा वाला होगा।

– यदि कुंडली में राहु केतु सातवें भाव में हो या सप्तमेश सातवें, अाठवें या बारहवें में हो, साथ ही नवमांश कुंडली में भी कमज़ोर हो तो जीवनसाथी समान्य नौकरी करने वाला होता है।

जीवनसाथी कैसा होगा
-जन्मकुंडली में सप्तमेश चतुर्थ, पंचम, नवम अथवा दशम भाव में होने पर जीवन साथी अच्छे परिवार से संबंध रखने वाला होगा।

– यदि सप्तमेश उच्च होकर केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित है तो आपका जीवन साथी शिक्षित धनवान तथा मान सम्मान से युक्त होगा।

जल्द विवाह के उपाय
– भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें। माता पार्वती की पूजा खासतौर पर लड़कियों को करनी चाहिए। पूजा में मां पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं, बाधाएं दूर होंगी।

– प्रतिदिन विघ्नहर्ता गणेश और रिद्धि-सिद्धि की पूजा करें।
_ अपनी कुंडली विश्लेषण करा कर उचित परामर्श लेकर उपाय करें

Aacharya Goldie Madan
Whats app +16475102650 and +919717032324

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