कितने लोग जानते हैं यह क्या है ? और इसके क्या लाभ हैं ?

कितने लोग जानते हैं यह क्या है ? और इसके क्या लाभ हैं ?

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  श्री विद्या के यंत्र को ‘श्रीयंत्र’ या ‘श्रीचक्र’ कहते हैं। ‘श्रीयंत्र’ भगवती त्रिपुर सुंदरी का यंत्र है। श्रीयंत्र को यंत्रराज, यंत्र शिरोमणि, षोडशी यंत्र व देवद्वार भी कहा गया है। श्रीयंत्र में देवी लक्ष्मी का वास माना जाता है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति तथा विकास का प्रतीक होने के साथ मानव शरीर का भी द्योतक है। श्री शब्द का अर्थ लक्ष्मी, सरस्वती, शोभा, संपदा, विभूति से किया जाता है। यह यंत्र श्री विद्या से संबंध रखता है। श्री विद्या का अर्थ साधक को लक्ष्मी़, संपदा, विद्या आदि हर प्रकार की ‘श्री’ देने वाली विद्या को कहा जाता है।

श्री चक्र पराशक्ति का ब्रह्मांडीय उत्सर्जन है और पृथ्वी उनके उत्सर्जन में से एक है। दूसरे शब्दों में, श्री चक्र पराशक्ति का लौकिक रूप है। ऐसा कहा जाता है कि श्री चक्र में शिव और शक्ति दोनों की उपस्थिति का एहसास होना चाहिए। इसमें पाँच त्रिभुज होते हैं जो नीचे की ओर होते हैं, चार त्रिभुज ऊपर की ओर होते हैं। पांच अधोमुखी त्रिभुज स्त्री स्वरूपा हैं और चार ऊपर की ओर मुख वाले त्रिकोण पुरुष स्वरूपा पहलू हैं।

पांच अधोमुखी त्रिभुज रचनात्मक ऊर्जा के रूप में जाने जाते हैं और चार उर्ध्वमुखी त्रिभुज अग्नि ऊर्जा कहलाते हैं जो विनाश करने में सक्षम हैं।

माना गया है कि श्रीयंत्र की दक्षिणाम्नाय उपासना करने वाले व्यक्ति को भोग की प्राप्ति होती है और ऊर्ध्वाम्नाय उपासना करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए कहा जा सकता है कि यह श्रीयंत्र मोक्ष तथा मुक्ति के लिए भी लाभ प्रदान करता है.

शुद्ध स्फटिक का श्री यंत्र सोने पर अंकित यंत्र से भी ज्यादा प्रभावशाली होता है । इसको सिद्ध करने का विधान उससे भी महत्वपूर्ण होता हैं। श्री विधा साधक इसको अलग तरीके से सिद्ध करते हैं और अघोरी अलग 
दो ही लोग इसको उचित विधान से सिद्ध करने में सक्षम होते हैं । 

अलख आदेश 🙏🙏🙏

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Aacharya Goldie madan
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