* मातंगी मंत्र साधना* Matangi sadhna

* मातंगी मंत्र साधना*
वर्तमान युग में, मानव जीवन के प्रारंभिक पड़ाव से अंतिम
पड़ाव तक भौतिक आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील
रहता है । व्यक्ति जब तक भौतिक जीवन का पूर्णता से निर्वाह
नहीं कर लेता है, तब तक उसके मन में आसक्ति का भाव रहता
ही है और जब इन इच्छाओ की पूर्ति होगी,तभी वह
आध्यात्मिकता के क्षेत्र में उन्नति कर सकता है । मातंगी
महाविद्या साधना एक ऐसी साधना है जिससे आप भौतिक
जीवन को भोगते हुए आध्यात्म की उँचाइयो को छु सकते है ।
मातंगी महाविद्या साधना से साधक को पूर्ण गृहस्थ सुख
,शत्रुओ का नाश, भोग विलास,आपार सम्पदा,वाक सिद्धि,
कुंडली जागरण ,आपार सिद्धियां, काल ज्ञान ,इष्ट दर्शन
आदि प्राप्त होते ही है ।
इसीलिए ऋषियों ने कहा है -
" मातंगी मेवत्वं पूर्ण मातंगी पुर्णतः उच्यते "
इससे यह स्पष्ट होता है की मातंगी साधना पूर्णता की साधना
है । जिसने माँ मातंगी को सिद्ध कर लिया फिर उसके जीवन में
कुछ अन्य सिद्ध करना शेष नहीं रह जाता । माँ मातंगी आदि
सरस्वती है,जिसपे माँ मातंगी की कृपा होती है उसे स्वतः ही
सम्पूर्ण वेदों, पुरानो, उपनिषदों आदि का ज्ञान हो जाता है
,उसकी वाणी में दिव्यता आ जाती है ,फिर साधक को मंत्र एवं
साधना याद करने की जरुरत नहीं रहती ,उसके मुख से स्वतः ही
धाराप्रवाह मंत्र उच्चारण होने लगता है ।
जब वो बोलता है तो हजारो लाखो की भीड़ मंत्र मुग्ध सी उसके
मुख से उच्चारित वाणी को सुनती रहती है । साधक की ख्याति
संपूर्ण ब्रह्माण्ड में फैल जाती है ।कोई भी उससे शास्त्रार्थ में
विजयी नहीं हो सकता,वह जहाँ भी जाता है विजय प्राप्त करता
ही है । मातंगी साधना से वाक सिद्धि की प्राप्ति होते है,
प्रकृति साधक से सामने हाँथ जोड़े खडी रहती है, साधक जो
बोलता है वो सत्य होता ही है । माँ मातंगी साधक को वो विवेक
प्रदान करती है की फिर साधक पर कुबुद्धि हावी नहीं होती,उसे
दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है और ब्रह्माण्ड के समस्त
रहस्य साधक के सामने प्रत्यक्ष होते ही है ।
माँ मातंगी को उच्छिष्ट चाण्डालिनी भी कहते है,इस रूप में माँ
साधक के समस्त शत्रुओ एवं विघ्नों का नाश करती है,फिर
साधक के जीवन में ग्रह या अन्य बाधा का कोई असर नहीं
होता । जिसे संसार में सब ठुकरा देते है,जिसे संसार में कही पर
भी आसरा नहीं मिलता उसे माँ उच्छिष्ट चाण्डालिनी अपनाती
है,और साधक को वो शक्ति प्रदान करती है जिससे ब्रह्माण्ड
की समस्त सम्पदा साधक के सामने तुच्छ सी नजर आती है ।
महर्षि विश्वमित्र ने यहाँ तक कहा है की " मातंगी साधना में
बाकि नव महाविद्याओ का समावेश स्वतः ही हो गया है " ।
अतः आप भी माँ मातंगी की साधना को करें जिससे आप जीवन
में पूर्ण बन सके ।
माँ मातंगी जी का साधना जो साधक कर लेता है वह तो गर्व से
कह सकता है,मेरा यह अध्यात्मिक जिवन व्यर्थ नही गया ।
अगर मैंने स्वयं कभी मातंगी साधना नही की होती तो मुझे सबसे
ज्यादा दुख आनेवाले कई वर्षो तक तकलीफ देता परंतु
अध्यात्मिक जिवन के प्रथम पडाव मे ही मैने मातंगी साधना को
इसी विधि-विधान से सम्पन्न कर लिया जो आज आप सभी के
लिये दे रहा हूं।
साधना विधि:- साधना सोमवार के दिन,पच्छिम दिशा मे मुख
करके करना है। पोस्ट मे मातंगी यंत्र का फोटो दे रहा हू,वैसा
ही यंत्र भोजपत्र पर कुम्कुम के स्याही से बनाये। वस्त्र
आसन लाल रंग का हो,साधना रात्रि मे 9 बजे के बाद करे।
नित्य 51 माला जाप 21 दिनो तक करना चाहिए। देवि मातंगी
वशीकरण की महाविद्या मानी जाती है,इसी मंत्र साधना से
वशीकरण क्रिया भी सम्भव है। 21 वे दिन कम से कम घी की
108 आहूति हवन मे अर्पित करे। इस तरहा से साधना पुर्ण
होती है।22 वे दिन भोजपत्र पर बनाये हुए यंत्र को चांदि के
तावीज मे डालकर पहेन ले,यह एक दिव्य कवच माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन ''मातंगी जयंती'' होती है और वैशाख
पूर्णिमा ''मातंगी सिद्धि दिवस'' होता है. ,इन १२ दिनों मे आप
चाहे जितना मंत्र जाप कर सकते है ।
विनियोग:
अस्य मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषि विराट् छन्दः मातंगी देवता
ह्रीं बीजं हूं शक्तिः क्लीं कीलकं सर्वाभीष्ट सिद्धये जपे
विनियोगः ।
ऋष्यादिन्यास :
ॐ दक्षिणामूर्ति ऋषये नमः शिरसी ।१।
विराट् छन्दसे नमः मुखे ।२।
मातंगी देवतायै नमः हृदि ।३।
ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये ।४।
हूं शक्तये नमः पादयोः ।५ ।
क्लीं कीलकाय नमः नाभौ ।६।
विनियोगाय नमः सर्वांगे ।७।
करन्यासः
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः।१।
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ।२।
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः।३।
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः।४।
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।५।
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।६।
हृदयादिन्यास:
ॐ ह्रां हृदयाय नमः ।१।
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा ।२।
ॐ ह्रूं शिखायै वषट् ।३।
ॐ ह्रैं कवचाय हूं ।४।
ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।५।
ॐ ह्रः अस्त्राय फट् ।६।
ध्यानः
श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैर्विभ्रतीं, पाशं
खेटमथांकुशं दृढमसिं नाशाय भक्तद्विषाम् ।
रत्नालंकरणप्रभोज्जवलतनुं भास्वत्किरीटां शुभां
मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वाथसिद्धिप्रदाम् ।।
मंत्रः
।। ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा ।।
(om hreem kleem hoom matangyei phat
swaahaa)
ये मंत्र साधना अत्यंत तीव्र मंत्र है । मातंगी महाविद्या
साधना प्रयोग सर्वश्रेष्ठ साधना है जो साधक के जिवन को
भाग्यवान बना देती है।

Aacharya Goldie Madan
Whats app +16475102650 and +919717032324

Comments

Popular posts from this blog

vashikaran mohini and solution to all problems

BAGLAMUKHI VASHIKARAN MOHINI MANTRA

Baglamukhi jayanti sadhna