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Showing posts from 2019

पद्मावती साधना

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पद्मावती साधना                     तन्त्र कोई क्रिया धर्म या पद्धति नहीं है, अपितु व्यवस्थित रूप से मन्त्र साधना और सिद्धि प्राप्त करने का अधिकार है। ब्राह्मण ग्रन्थों में तन्त्र जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण बौद्ध और जैन ग्रन्थों में भी है, बल्कि जैन धर्म में तो तन्त्र को प्रमुखता दी गई है।           जैन ग्रन्थों के अध्ययन से पता चलता है कि मानसिक शान्ति एवं आत्मा की पवित्रता पर जितना ज़ोर दिया है, उतना ही तन्त्र साधना पर भी महत्व प्रदर्शित किया है। श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही सम्प्रदायों तन्त्रात्मक मन्त्र पद्धति को विशेष महत्व दिया है।           पद्मावती साधना मूलतः जैन साधना है, यद्यपि इसका उल्लेख "मन्त्र महार्णव" एवं अन्य तान्त्रिक-मान्त्रिक ग्रन्थों में भी आया है, परन्तु इसका सांगोपांग विस्तार से विवेचन जैन ग्रन्थों में ही पाया जाता है। जैन समाज में दीपावली की रात्रि को देवी पद्मावती की साधना-पूजन तो प्रत्येक व्यक्ति करता ही है।         ...

मयूरेश स्तोत्र साधना

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मयूरेश स्तोत्र साधना                                                     " ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।                निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा॥"            हम परम्परा अनुसार भी और चूँकि बचपन से हम सबने इसी तरह की विधियाँ दैनिक जीवन में देखी हैं ,  अतः हम भी उसी पर चलने के आदि हैं ,  जो कि शास्त्र सम्मत भी है कि किसी भी शुभ कार्य के पहले भगवान गणपतिजी का स्मरण किया जाता है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि भगवान गणपति समस्त विघ्नों का नाश करने वाले ,  कार्यों में सिद्धि देने वाले तथा जीवन में सभी प्रकार से पूर्णता देने वाले हैं।           इसीलिए  "कलौ चण्डी विनायको"  कहा गया है अर्थात् कलियुग में दुर्गा एवं गणपति ही पूर्ण सफलता देने में सहायक है। चाह...

भोजपत्र वशीकरण सिद्धि

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भोजपत्र वशीकरण सिद्धि भोजपत्र के टोटके/उपाय/उपयोग, भोजपत्र यंत्र, भोजपत्र मंत्र वशीकरण- इससे पहले की हम आपको भोजपत्र से जुड़े जादू-टोटके व वशीकरण मंत्र साधना के बारे मे बताए जरूरी है की उससे पहले आप जान ले की भोजपत्र का संबंध एक खास पेढ की छाल से होता है, न की जैसा अक्सर हम सोचते है की ये कोई पत्ता है। दरअसल ये भोजपत्र हिमालय की घाटियों में पाये जाते है और ये 15 से 20 मीटर ऊंचे वृक्ष की छाल होती है, जोकि गहरे रंग के होते है और क्यूकी ये लंबे समय तक खराब नहीं होते तो इसको संभाल के रखा जा सकता है। जिनका इस्तेमाल वैसे दवाई बनाने के लिए भी किया जाता है। दवाई के अलावा इसका इस्तेमाल टोने-टोटके और पूजा-पाठ में भी किया जाने लगा है। भोजपत्र वशीकरण सिद्धि आपको बता दे की  भोजपत्र की  टहनी की  धूप  के प्रयोग से  भूत – प्रेत   व  जिन्न आदि  को भगाने का काम किया जाता  हैं।  यही नहीं कई साधना ऐसी भी होती है जिसमे  भोजपत्र  के ऊपर  भौरवी ,  काली , देवी लक्ष्मी ,   कामाख्या   आदि के वशीकरण     मंत्र  क...

मनोवांछित व्यक्ति को आकर्षित करने का मंत्र

मनोवांछित व्यक्ति को आकर्षित करने का मंत्र देवी को पानी वाला नारियल अर्पित करें ऋतू फल समर्पित करें मूंगे की माला से मंत्र जप करना चाहिए मंत्र संख्या 10000 निश्चित होती है पीले आसन पर बैठ कर जपें उत्तर की ओर मुख रखें मंत्र-ॐ नमो आकर्षिनी ज्वालामालिनी देव्यै स्वाहा: बाँट कर मंत्र जप प्रतिदिन कर सकते हैं Aacharya Goldie Madan Whats app +16475102650 and +919717032324

चंडिका प्रयोग

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Aacharya Goldie Madan Whats app +16475102650 and +919717032324 प्रस्तुत साधना तब करे जब जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया हो.कोई मार्ग नज़र न आ रहा हो.दरिद्रता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हो.क्युकी ये प्रयोग मारण प्रयोग है,अरे नहीं किसी व्यक्ति का नहीं, अपने कष्टो पर भी तो मारण किया जा सकता है न दरिद्रता,रोग,गृह क्लेश और भी न जाने क्या क्या कष्ट है जीवन में,जो आपको रात दिन तील तील मारते रहते है,इससे पहले कि ये आपको पूरी तरह मारदे आप कर ही दीजिये इन पर चंडिका प्रयोग। ये प्रयोग तीन दिन का है,किसी भी रविवार या अमावस्या कि रात्रि १२ बजे इसे किया जा सकता सकता है.दक्षिण कि और मुख कर बैठ जाये,आसन वस्त्र लाल हो तथा जाप होगा रुद्राक्ष कि माला से.सामने महाकाली का कोई भी चित्र स्थापित करे लाल वस्त्र पर.माँ का सामान्य पूजन करे,तील के तेल का दीपक हो.भोग में माँ को गूढ़ अर्पण करे.रक्त पुष्पो से पूजन करे.इसके बाद २१ माला आप मंत्र का जाप करे.भोग नित्य स्वयं खा ले.अंतिम दिन जाप के बाद घी में कालीमिर्च तथा काले तील मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे,तथा अंत में एक निम्बू पर मंत्र को २१ बार पड़कर फुक मार दे.और ...

KANAKDHARA STOTRAM श्री कनकधारा स्तोत्रम्

KANAKDHARA STOTRAM श्री कनकधारा स्तोत्रम् रिद्धी-सिद्धी, धन-धान्य, सभी तरह की भौतिक सुख के लिये इस स्त्रोत्र का नियमित पाठ करना चाहिये... ---- अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥1॥ मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि। मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥ विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्ष आनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्ध मिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥ आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥4॥ बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला, कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥5॥ कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥6॥ प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत् प्रभावान् माङ्गल्यभाजि ...